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50 प्रतिशत तक की सब्सिडी

किसानों के लिए खुशी की खबर, अब अरहर, मूंग व उड़द के बीजों पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलेगी

किसानों के लिए खुशी की खबर, अब अरहर, मूंग व उड़द के बीजों पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी मिलेगी

कृषि विभाग ने खरीफ फसल की बुआई से पहले फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए किसानों को कई प्रकार के प्रोत्साहन दे रही है. कृषि विभाग के इस कदम से किसान कम से कम लागत में अधिक से अधिक उत्पादन कर पाएंगे. किसानों के लिए कृषि विभाग ने अरहर, मूंग और उड़द के उन्नतशील बीजों पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी देने का वादा किया है. जिससे कारण किसान बहुत खुश है. पहले जहां किसानों को मंहगे दामों पर भी अच्छे बीज नही मिलते थे. वही कृषि विभाग के इस फैसले से किसानों को आधे दाम में बढ़िया क्वालिटी के बीज मिलेंगे.

ये भी पढ़ें: खाद-बीज के साथ-साथ अब सहकारी समिति बेचेंगी आरओ पानी व पशु आहार – सहकारिता विभाग ने शासन को भेजा प्रस्ताव यहां तक कि किसानों को निः शुल्क अरहर, मूंग व उड़द के बीज मिनी किट में उपलब्ध कराए जा रहे है. यह काम शुरुआत हो चुकी है, जिले में 31 क्विंटल 85 किलोग्राम अरहर, 32 क्विंटल उड़द और 9 क्विटल मूंग के बीज सब्सिडी के साथ उपलब्ध करवाए गए है. इसके साथ ही किसान निः शुल्क मिनी किट जो की चार चार किग्रा की होती है, उन्हें भी किसान राजकीय बीज भंडार से ले सकता है. मिनी किट के रूप में अरहर 15 क्विंटल, उड़द 18 क्विंटल और मूंग चार क्विंटल बीज है.

उच्च क्वालिटी के मक्के के बीज प्रदर्शन के लिए आए है

150 क्विंटल मक्के के बीज प्रदर्शन के लिए आए, जिन्हें 750 हेक्टेयर तक की भूमि पर बुआई के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इसके साथ खाद और खरपतवार नाशक दवाइयां भी किसानों को उपलब्ध करवाई जाएंगी.

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राजकीय बीज भंडारों से किसान सब्सिडी के साथ बीज ले सकते है

सत्येंद्र चौहान जो की उप कृषि निदेशक है, उन्होंने बताया कि राजकीय बीज भंडारों पर बीज उपलब्ध करवा दिए गए है. जो भी किसान सब्सिडी के साथ बीज लेना चाहता है. वह राजकीय बीज भंडार में आकर ले सकता है.  
भारत सरकार बंजर जमीन पर अंजीर की खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

भारत सरकार बंजर जमीन पर अंजीर की खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

किसानों के हित में केंद्र और राज्य सरकार अपने अपने स्तर से किसानो की मदद करती रहती हैं। इसी कड़ी में भारत सरकार की तरफ से अंजीर की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए 50 प्रतिशत तक का अनुदान प्रदान कर रही है। आप भी इसका लाभ उठा सकते हैं। भारत सरकार किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृण बनाने के लिए सदैव प्रयासरत रहती है। सरकार किसान भाइयों को परंपरागत फसलों की पैदावार के साथ-साथ व्यापारिक फसलों की खेती के लिए भी प्रोत्साहित करती रहती है। इसी को देखते हुए भारत सरकार द्वारा भारत में अंजीर की पैदावार को बढ़ाने के लिए इसकी खेती को महत्व दे रही है। इससे भारत में अंजीर की पैदावार तो बढ़ेगी ही इसके साथ-साथ किसानों की आर्थिक स्थिति भी अच्छी होगी। 

अंजीर की खेती से किसानों को कितना मुनाफा हो रहा है

अंजीर की खेती कर किसान भाई अच्छा-खासा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। बतादें, कि एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के खेत में 300 से अधिक अंजीर के पौधे लगाए जाते हैं। इस दौरान बाजार में एक किलो अंजीर का भाव 600 से 900 रुपए प्रति किलोग्राम तक है। इससे किसान भाई सुगमता से साल भर में 20 से 22 लाख रुपए तक की आमदनी कर सकते हैं। 

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अंजीर की खेती करने का तरीका क्या होता है

अंजीर की खेती जुलाई एवं अगस्त माह में की जाती है। इसकी रोपाई के लिए कम पानी की आवश्यकता पड़ती है। इसके पौधों के मध्य का फासला 15 से 20 सेंटीमीटर तक रहता है। आप इसकी देशी खाद एवं उर्वरक के उपयोग से अच्छी पैदावार कर सकते हैं। इसके पौधे को रोपाई के एक से दो हफ्ते के उपरांत सिंचाई की जरूरत पड़ती है।


 

जानें सरकार इसके लिए कितना अनुदान मुहैय्या करा रही है

केंद्र सरकार राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत किसानों का अंजीर की खेती में आने वाले खर्चे पर 50 प्रतिशत का अनुदान प्रदान कर रही है। राज्य सरकारें अपने प्रदेश की भूमि, जलवायु और मौसम के आधार पर किसानों को इसकी खेती पर 50 प्रतिशत अथवा उससे ज्यादा की धनराशि का अनुदान मुहैय्या करा रही है।

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इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार राज्य की बंजर पड़ी जमीनों को पुनः खेती के लायक बनाने का निर्णय लिया है। सरकार किसानों को बंजर पड़ी इन जमीनों पर अंजीर की खेती करने वाले किसानों को उनकी लागत का 50 फीसद से ज्यादा का अनुदान देने का निर्णय लिया गया है। प्रदेश में बंजर पड़ी भूमि का क्षेत्रफल काफी अधिक बढ़ता जा रहा है। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार का यह निर्णय खेती योग्य भूमि का रकबा बढ़ाऐगा। भारत में अंजीर की खेती कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में की जाती है।